Hitendra singh | 10:56 PM |
मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है 
पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है 

दो साल पहले ट्रेन हादसे में अपना एक पैर गंवाने वाली वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करने के मिशन के लिए 
मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है 
पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है 

दो साल पहले ट्रेन हादसे में अपना एक पैर गंवाने वाली वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करने के मिशन के लिए दिल्ली से आज रवाना हो रही है।


12 अप्रैल 2011 को वह लखनऊ से दिल्ली आ रही थी तभी किसी ने उसे ट्रेन से नीचे फेंक दिया था और इस हादसे में उसने अपना बांया पैर गवां दिया था। बाद में उसे कृतिम पैर लगाया गया। हादसे से उसके हौसले कमजोर नहीं हुए। जब वह 4 महीने एम्स में बिस्तर पर थी तभी उसने फैसला किया था कि वह एक दिन एवेस्ट फतह करेगी। अपने पैरों पर खड़े होने के बाद उसने टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में एवरेस्ट फतह करने वाली बिछेंद्री पाल से ट्रेनिंग ली। वह इससे पहले लद्दाख की एक 21 हजार फीट ऊंची चोटी पर तिरंगा फहरा चुकी हैं। अब तैयारी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करने की है क्योंकि चैंपियन हमेशा चैंपियन होते हैं।
एक सलाम अरुणिमा के जज्बे को !!दिल्ली से आज रवाना हो रही है।

12 अप्रैल 2011 को वह लखनऊ से दिल्ली आ रही थी तभी किसी ने उसे ट्रेन से नीचे फेंक दिया था और इस हादसे में उसने अपना बांया पैर गवां दिया था। बाद में उसे कृतिम पैर लगाया गया। हादसे से उसके हौसले कमजोर नहीं हुए। जब वह 4 महीने एम्स में बिस्तर पर थी तभी उसने फैसला किया था कि वह एक दिन एवेस्ट फतह करेगी। अपने पैरों पर खड़े होने के बाद उसने टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में एवरेस्ट फतह करने वाली बिछेंद्री पाल से ट्रेनिंग ली। वह इससे पहले लद्दाख की एक 21 हजार फीट ऊंची चोटी पर तिरंगा फहरा चुकी हैं। अब तैयारी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करने की है क्योंकि चैंपियन हमेशा चैंपियन होते हैं।
एक सलाम अरुणिमा के जज्बे को !!

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